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डायबिटीज यानी मधुमेह ने देश में इतनी तेजी से लोगों को शिकार बनाना शुरू किया है कि भारत को दुनिया की मधुमेह राजधानी कहना गलत नहीं होगा। भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) के 2023 में किए गए अध्ययन के अनुसार भारत में टाइप 1 और टाइप 2 मधुमेह के कुल 10.1 करोड़ मरीज हैं। यह देश की वयस्क आबादी (18 वर्ष से उपर) का 11.4 फीसदी है। 

टाइप 1 डायबिटीज के मरीजों में लक्षण 

– बहुत अधिक प्यास n मुंह सूखना n लगातार पेशाब आना – बिना कारण के बहुत वजन गिर जाना n भूख ज्यादा लगना – धुंधला दिखाई देना n पेट में दर्द और उल्टी – चक्कर, भ्रम और अचेत होना (मौत के खतरे वाली स्थिति, जिसे कीटोएसिडोसिस कहा जाता है)

टाइप 2 डायबिटीज के मरीजों में लक्षण 

टाइप 2 डायबिटीज के मरीजों में भी कीटोएसिडोसिस को छोड़कर ऊपर दिए गए सारे लक्षण होते हैं, मगर इसमें ये लक्षण इतना अचानक और नाटकीय रूप से सामने नहीं आते, जितना टाइप 1 के मरीजों में होते हैं। 

सभी तरह के डायबिटीज मरीजों में ये लक्षण 

– थकान और लगातार शिथिलता – कटने या घाव होने पर देर से ठीक होना – मुंह, निजी अंगों पर यीस्ट का संक्रमण – पैरों में सिहरन, सुन्नपन या सूजन

टाइप 2 डायबिटीज के मरीजों में लक्षण 

टाइप 2 डायबिटीज के मरीजों में भी कीटोएसिडोसिस को छोड़कर ऊपर दिए गए सारे लक्षण होते हैं, मगर इसमें ये लक्षण इतना अचानक और नाटकीय रूप से सामने नहीं आते, जितना टाइप 1 के मरीजों में होते हैं। 

डायबिटीज का इलाज 

– डायबिटीज का इलाज वैयक्तिक होना चाहिए और इसे हर मरीज की जीवनशैली और उसके प्रोफाइल के अनुरूप होना चाहिए। – डायबिटीज का प्रबंधन डायबिटीज के प्रकार, मरीज की भोजन की आदतों, शारीरिक व्यायाम की क्षमता, उम्र, बीमारी के बारे में समझने की दक्षता, गर्भावस्था की स्थिति, जटिलताओं की मौजूदगी और बीमारी का पता लगने के समय मरीज की मेडिकल कंडीशन पर निर्भर करता है।

बचाव 

– डायबिटीज को व्यायाम और सही भोजन की मदद से प्रभावी रूप से रोका जा सकता है। जरूरत सिर्फ इस बात की है कि नियमित रूप से व्यायाम किया जाए, जरूरत भर की कैलोरी वाला सही भोजन किया जाए और बॉडी मास इंडेक्स (बीएमआई) को कम उम्र से ही नियंत्रण में रखा जाए। – सही तरीके से देखभाल न होने से प्री-डायबेटिक के आधे से अधिक मरीज पूर्ण रूप से डायबिटीज के शिकार हो जाते हैं।